ट्रैन कैसे मुड़ती है ? जबकि इंजन में तो स्टेयरिंग नहीं होता है ?
जी हाँ , आप भी सोच रहे होंगे कि ट्रैन कैसे मुड़ती है ? जब कि अपनी स्पीड से चलती रहती है और जिधर मुड़ना होता है मुड़ जाती है जबकि ड्राइवर के पास स्टेयरिंग भी नहीं होता है। आइये जानते हैं कि यह होता कैसे है। रेलवे डिपार्टमेंट आखिर क्या करता है कि ट्रैन अपनी दिशा से चलते चलते दूसरी दिशा में चलने लगाती है।
ये तो आप जानते ही होंगे कि ट्रैन रेल यानि कि पटरी पर चलती है। दोनों पटरी और स्लीपर एवं गिट्टी को मिलाकर जो स्ट्रक्चर होता है उसे रेलवे ट्रैक कहते है। यह रेलवे ट्रैक अगर सीधा होगा तो ट्रैन सीधी चलेगी अगर मोड़ होगा तो मुड़ जाएगी। इस मोड़ को रेल कि भाषा में कर्व कहते हैं।
रेलवे में कर्व क्या होता है ?
जब ट्रैक ( रेलवे ट्रैक ) को गोलाई में बिछाया जाता है तो उस गोलोई को कर्व कहते हैं। अगर ट्रैन चलते चलते राइट हैंड दिशा में मुड़ती है तो राइट हैंड कर्व कहते हैं और अगर लेफ्ट हैंड डायरेक्शन में मुड़ती है तो लेफ्ट हैंड कर्व कहते हैं। सीधी लाइन से जब कर्व को लिंक किया जाता है तो धीरे धीरे सीधे से कर्व को जोड़ा जाता है जिसे ट्रांजीशन कहते हैं।
कर्व में ट्रैन क्या स्पीड काम कर लेती है ?
नहीं कर्व में ट्रैन स्पीड काम नहीं कराती जब तक कि कोई समस्या न आये। जब कर्व में ट्रैन जाती है तो कर्व की बाहरी रेल को उतना उठा के रखा जाता है ताकि कर्व में लगाने वाला बाहरी फोर्स बराबर हो जाये। बाहरी रेल को जितना उठाया जाता है उसे सुपर एलिवेशन कहते है। ऐसा भी नहीं है कि सुपर एलिवेशन को कितना भी रख लें और ट्रैन की स्पीड बढ़ाते जाएँ। इसकी भी सीमा होती है उससे ज्यादा सुपर एलिवेशन नहीं दे सकते। ट्रैन कैसे मुड़ती है ? इसको समझने के लिए सुपर एलिवेशन को समझना बहुत जरूरी है।
कर्व की कौन सी रेल उठाके रखी जाती है?
ट्रैन कैसे मुड़ती है ? इसको समझने के लिए जानते हैं कि रेलवे ट्रैक में दो रेल होती हैं – एक लेफ्ट हैंड रेल और दूसरी राइट हैंड रेल। लेफ्ट हैंड कर्व में राइट हैंड रेल को उठाया जायेगा और उसी प्रकार राइट हैंड कर्व में लेफ्ट हैंड रेल को उठाया जाता है।
कर्व में अधिकतम गति की ट्रैन तो निकल जाएगी लेकिन उससे काम पर ट्रैन चले तो क्या होगा ?
रेलवे में कर्व को एक अधिकतम स्पीड के लिए डिज़ाइन होता है लेकिन अगर कम गति से उस पर ट्रैन जाती है तो भी उसको झटका नहीं लगेगा और पास हो जाएगी।
क्या होगा अगर बहार की वजाय अंदर की रेल उठा दी जाये ?
जैसे साइकिल चलते वक्त मोड़ पर अंदर की तरफ झुकना होता है नहीं तो आप गिर पड़ेंगे ठीक उसी तरह अंदर की रेल उठाने पर ट्रैन बहार आ जाएगी। इसी लिए कर्व की बाहरी रेल को उठाया जाता है ताकि बहार की और लगने वाले फ़ोर्स को neutralise किया जा सके।
पहाड़ों में कर्व कैसे होते है ?
जब ट्रैन ऊपर से नीचे और बाद में नीचे से ऊपर जाती है तो ऐसे में भी कर्व होता है लेकिन ये वर्टीकल कर्व होता है।
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